Thursday, October 16, 2008

Daya Karo Mere Sai download Mp3

Share Author: Manisha.Rautela.Bisht on 8:37 PM

Here is beautiful Quawali.The first time I heard it I was totally carried away by the lyrics as well as the emotion in the Quawali.It reminds me of my visit to Holy Dargah Shariff of Hazrat Khwaja Muinuddin Chisty in Ajmer and the Quawalis I had heard there,cannot express what one feels when one hear those Quawalis .When I was listening to this Quawali I was in tears and carried to the Darbar of Shri Sai Baba.One must listen this Quawali to experience the bliss.Very touching Quawali.

दया करो मेरे साईं मैं गम का मारा हूँ

दया करो मेरे साईं मैं गम का मारा हूँ
बुरा भला हू में जैसा भी हू तुम्हारा


उजड़ने वाले चनम को तुम्ही खिलाते हों
बिछङने वाले दिलों को तुम्ही मिलाते हों
तुम्ही तो देतो हों खुशियाँ दुखों के मारों को
वोह जिनकी आँखों में आसू उन्हे हसाते हों
भवर से पार लगाते हों डूबती नयाँ
तुम्ही तो बिगड़ी हुई किस्मते बनाते हों
दया करो मेरे साई मैं गम का मारा हू ....


तुम ऐसे दाता हों चौखट पे जो भी आता है
मुरादे मांगने वाला मुरादे पाता है
कोई धरम का हों इंसान इस जगह आकार
तुम्हारे चरणों में बाबा वो सर झुकता है
जिधर भी जाऊँ तुम्हारे ही नाम लेवा है
सिवा तुम्हारे मेरा कौन अब सहारा है
दया करो मेरे साई मैं गम का मारा हू ...


समां गया है नज़र में यह वोह नज़ारा है
मुझे तो शिर्डी दिलो जान से भी प्यारा है
तुम्हारे सामने दामन को अब पसारा है
मदद के वास्ते बाबा तुम्हे पुकारा है
कहाँ पे जाऊंगा उठ कर तुम्हारी चौखट से
सिवा तुम्हारे मेरा कौन अब सहारा है
दया करो मेरे साई मैं गम का मारा हू ....

To Download the song in Mp3.

Daya Karo Mere Sai.mp3


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~श्री सच्चिदानंद सदगुरू श्री साईनाथ महाराज की जय~ श्री साई बाबा के ग्यारह वचन : १.जो शिरडी आएगा ,आपद दूर भगाएगा,२.चढ़े समाधी की सीढी पर ,पैर तले दुःख की पीढ़ी पर,३.त्याग शरीर चला जाऊंगा ,भक्त हेतु दौडा आऊंगा,४.मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पुरी आस५.मुझे सदा ही जीवत जानो ,अनुभव करो सत्य पहचानो,,६.मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताये ७.जैसा भाव रहे जिस मनका, वैसा रूप हुआ मेरे मनका,,८.भार तुम्हारा मुझ पर होगा ,वचन न मेरा झूठा होगा ९ आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर ,१०.मुझ में लीन वचन मन काया ,उसका ऋण न कभी चुकाया,११ .धन्य -धन्य व भक्त अनन्य ,मेरी शरण तज जिसे न अन्य~श्री सच्चिदानंद सदगुरू श्री साईनाथ महाराज की जय~
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I feel I am like a river, having my own course, stream and flow but the final destiny is to be one with the boundless ocean of my Sathguru Shirdi Sai Baba.

Amidst all the worldly rituals I am performing,I do not dare to loose sight of my Sainath. He is the sole driving force, the guide and the Supreme master.

The strings of my life are in his hand,I am just a puppet at His Holy Feet.
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