Tuesday, August 26, 2008

Aarti Shri Sai Guruwar Ki Parmanand -mp3 download

Share Author: Manisha.Rautela.Bisht on 9:54 PM
Here is a Nice Aarti of Shirdi Sai Baba sung by Suresh Wadekar sent by Ryan Faraaz. Written in Hindi by me on request of few devotees.

~आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर ~

आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की
जाके कृपा विपुल सुख कारी दुःख शोक संकट भ्ररहारी
आरती श्री साई गुरुवर की..

शिर्डी में अवतार रचाया चमत्कार से तत्व दिखाया
कितने भक्त शरण में आए वे सुख़ शांति निरंतर पाए
आरती श्री साई गुरुवार की...

भाव धरे जो मन मैं जैसा साई का अनुभव हो वैसा
गुरु को उदी लगावे तन को समाधान लाभत उस तन को
आरती श्री साई गुरुवर की...



साईं नाम सदा जो गावे सो फल जग में साश्वत पावे
गुरुवार सदा करे पूजा सेवा उस पर कृपा करत गुरु देवा
आरती श्री साई गुरुवर की ....

राम कृष्ण हनुमान रूप में दे दर्शन जानत जो मन में
विविध धरम के सेवक आते दर्शनकर इचित फल पाते
आरती श्री साई गुरुवर की....

जय बोलो साई बाबा की ,जय बोलो अवधूत गुरु की
साई की आरती जो कोई गावे घर में बसी सुख़ मंगल पावे
आरती श्री साई गुरुवर की...

अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक राजा धिराज योगी राज ,जय जय जय साई बाबा की
आरती श्री साई गुरुवर की परमानंद सुरवर की ....

Here is the link to download the Aarti ..
Download here
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~श्री सच्चिदानंद सदगुरू श्री साईनाथ महाराज की जय~ श्री साई बाबा के ग्यारह वचन : १.जो शिरडी आएगा ,आपद दूर भगाएगा,२.चढ़े समाधी की सीढी पर ,पैर तले दुःख की पीढ़ी पर,३.त्याग शरीर चला जाऊंगा ,भक्त हेतु दौडा आऊंगा,४.मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पुरी आस५.मुझे सदा ही जीवत जानो ,अनुभव करो सत्य पहचानो,,६.मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताये ७.जैसा भाव रहे जिस मनका, वैसा रूप हुआ मेरे मनका,,८.भार तुम्हारा मुझ पर होगा ,वचन न मेरा झूठा होगा ९ आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर ,१०.मुझ में लीन वचन मन काया ,उसका ऋण न कभी चुकाया,११ .धन्य -धन्य व भक्त अनन्य ,मेरी शरण तज जिसे न अन्य~श्री सच्चिदानंद सदगुरू श्री साईनाथ महाराज की जय~
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About Author.

I feel I am like a river, having my own course, stream and flow but the final destiny is to be one with the boundless ocean of my Sathguru Shirdi Sai Baba.

Amidst all the worldly rituals I am performing,I do not dare to loose sight of my Sainath. He is the sole driving force, the guide and the Supreme master.

The strings of my life are in his hand,I am just a puppet at His Holy Feet.
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